बच्चे देश का भविष्य हैं। बच्चों के सर्वांगीड़ विकास एक सार्वभौमिक आवश्यकता है। भारतीय संविधान ने बच्चों को विभिन्न प्रकार के अधिकार प्रदान किए हैं , जैसे न्याय के समक्ष समानता , ०६ से १४ वर्ष की आयु के बच्चों को कारखानों , खानों तथा खतरनाक प्रकृति के उद्योगों में नियुक्त न करना। प्रत्येक राज्य सरकारें बच्चों के विकास के लिए इस प्रकार की नीतियां बनाये जिससे उनके बचपन का दुरूपयोग न हो सके। इसकी व्यवस्था भारतीय संविधान के नीती निर्देशक तत्वों में दी गयी है। भारत सरकार/राज्य सरकार बच्चों के सर्वांगीड़ विकास के लिए कृत संकल्प है, ताकि उनके संवैधानिक एवं वैधानिक अधिकार सुरक्षित रहें। इन्ही उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम २००५ पारित किया गया है।
15 November 2022
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